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Hindi Department

(एम.एल.के.पी.जी.कॉलेज, बलरामपुर के हिन्दी विभाग का संक्षिप्त इतिहास )

इसकी स्थापना सन् 1955 में बलरामपुर के तत्कालीन महाराजा सर पाटेश्वरी प्रसाद सिंह ने अपनी माता के नाम पर की थी | इस महाविद्यालय में इसकी स्थापना के प्रथम वर्ष से ही एक विषय के रूप में स्नातक स्तर पर हिन्दी के अध्ययन -अध्यापन का सिलसिला आरंभ हुआ था | पहले आरंभ में यह महाविद्यालय प्रदेश के आगरा विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था | यहाँ हिन्दी विषय के अध्यापन के लिए जो प्रथम प्रवक्ता नियुक्त किये गये थे, उनका नाम था डॉ.भोलानाथ भ्रमर | वे पी-एच.डी. के साथ डी.लिट. भी थे | वे में हिन्दी -विभाग के प्रथम विभागाध्यक्ष भी थे |

महाविद्यालय में वर्ष 1971-72 में हिन्दी की पढ़ाई एक विषय के रूप में स्नातकोत्तर स्तर पर आरंभ हुई थी | उस समय यह महाविद्यालय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर से सम्बद्ध हो चुका था ,जिसकी स्थापना सन् 1960 में हुई थी | स्नातक स्तर पर कुल सोलह वर्षों तक अकेले डॉ. भोलानाथ भ्रमर के कुशल अध्यापन के बाद जब स्नातकोत्तर स्तर पर हिन्दी की पढ़ाई आरंभ हुई तो कुल तीन प्रवक्ता और नियुक्त किये गये थे, जिनके नाम निम्नलिखित हैं — 1. डॉ. शिवनारायण शुक्ल,2. डॉ. जगदेव सिंह और 3. डॉ. शीतला प्रसाद मिश्र | इसके बाद अस्थायी प्रवक्ता पद पर डॉ. विश्वंभर अकेला को नियुक्ति प्रदान की गई थी | डॉ.अकेला अपने समय के उदीयमान कवि भी थे | कुछ ही वर्षों के अध्यापन के उपरांत विद्युत स्पर्शाघात से उनकी अकाल मृत्यु हो गई थी|

उपरोक्त सभी प्रवक्ता हिन्दी के सुयोग्य विद्वान और प्राध्यापक होने के साथ -साथ इस जनपद एवं प्रदेश में बतौर एक लेखक -साहित्यकार भी पहचान रखते थे | इनके द्वारा रचित -संपादित कई पुस्तकें प्रकाशित हैं | यहाँ स्थानाभाव के चलते उन सबका विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना संभव नहीं होगा | बहरहाल, डॉ. भोलानाथ भ्रमर के सन् 1979 के आसपास प्राचार्य बनकर टांडा जाने के बाद हिन्दी के दूसरे विभागाध्यक्ष डॉ. शिवनारायण शुक्ल बने थे | उनका कार्यकाल 30 जून सन् 2000 तक रहा है | डॉ. भोलानाथ भ्रमर के स्थान के रिक्त होने के उपरांत यहाँ सन् 1982 में डॉ. आशा उपाध्याय का चयन प्रवक्ता पद पर हुआ था | सन् 1984 में उनके अवकाश पर जाने के बाद सन् 1985 की 25 फरवरी को डॉ.नीरजा शुक्ला की , उस स्थान पर प्रवक्ता पद के लिए तदर्थ नियुक्ति की गई थी | बाद में उनके पद का विनियमितीकरण फरवरी – मार्च 1998 में उच्च शिक्षा निदेशालय, इलाहाबाद से हुआ था | डॉ.नीरजा शुक्ला 01जुलाई सन् 2000 से 10 जनवरी 2019 तक हिन्दी विभाग की प्रभारी रह चुकी हैं और वर्तमान में वे एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर रहते हुए अध्यापन कार्य कर रही हैं | वे महाविद्यालय में हिन्दी विषय में अध्यापन कार्य के अतिरिक्त सांस्कृतिक गतिविधियों से भी जुड़ी रही हैं |

वर्ष 1996 की 01 जुलाई को उच्च शिक्षा आयोग, इलाहाबाद, यूपी से चयनोपरांत हिन्दी प्रवक्ता पद पर डॉ. चंद्रेश्वर पाण्डेय ने योगदान किया था | उनकी नियुक्ति डॉ. जगदेव सिंह के अवकाशप्राप्त होने के बाद (वर्ष 1993) रिक्त स्थान पर हुयी थी | डॉ. पाण्डेय 11 जनवरी, 2019 से हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष और एसोसिएट प्रोफेसर थे | डॉ.चंद्रेश्वर पाण्डेय #चंद्रेश्वर के नाम से लेखन का कार्य भी करते हैं | उनकी कविता और आलोचना की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं | वे निरंतर देश स्तर की स्तरीय समकालीन पत्र -पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं | उनकी पुस्तकें — ‘भारत में जन नाट्य आंदोलन’ (शोधालोचना), ‘इप्टा आंदोलन : कुछ साक्षात्कार ‘ ,’अब भी ‘(काव्य संग्रह) और ‘सामने से मेरे'(काव्य संग्रह) आदि को हिन्दी के समकालीन साहित्य संसार में महत्वपूर्ण जगह हासिल है | डॉ.चंद्रेश्वर पाण्डेय ने कुल डेढ़ दशकों तक (सन् 2001 से 30 जून, सन् 2015 के दरम्यान ) महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘अरुणाभा’ के कुछ विशेष अंकों का संपादन कार्य भी किया है | उन्होंने महाविद्यालय के अादि संस्थापक महाराजा सर पाटेश्वरी प्रसाद सिंह जन्मशती अंक का भी संपादन सन् 2014-15 में किया था | डॉ. चंद्रेश्वर पाण्डेय के आयोग से चयनित होकर महाविद्यालय के हिन्दी विभाग में आने के कोई चार वर्षों उपरांत आयोग से ही चयनित होकर डॉ. प्रकाश चंद्र गिरि आए थे | उन्होंने 01- 07- 2000 को डॉ. शिवनारायण शुक्ल के अवकाशप्राप्त होने से रिक्त प्रवक्ता पद पर योगदान किया था | वे इस महाविद्यालय में 14 जनवरी, 1991 से 30 अप्रैल, 1996 तक अंशकालिक प्रवक्ता के रूप में भी अध्यापन कार्य कर चुके हैं | डॉ.प्रकाश चंद्र गिरि भी वर्तमान में हिन्दी के प्रोफेसर होने के साथ – साथ विभागाध्यक्ष एवं प्रतिष्ठित कवि – गीतकार – ग़ज़लगो व लेखक भी हैं | उनकी स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की शिक्षा इसी महाविद्यालय में पूरी हुई है |इसी महाविद्यालय से उन्होंने डॉ. शिवनारायण शुक्ल के शोध निर्देशन में पी-एच.डी. की उपाधि भी प्राप्त की है |

सन् 2004 में आयोग से चयनित होकर आने वाले हिन्दी विभाग के प्राध्यापक हैं डॉ० विमल प्रकाश वर्मा | डॉ० विमल प्रकाश वर्मा की पढ़ाई -लिखाई जेएनयू , नयी दिल्ली में हुई है | वे डॉ. शीतला प्रसाद मिश्र के अवकाशप्राप्त होने (वर्ष 2000) से रिक्त स्थान पर 23 अगस्त, 2004 को अपना योगदान दिए थे | वे वर्तमान में महाविद्यालय में राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के स्टडी सेन्टर(अध्ययन केन्द्र) के प्रभारी और महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका ‘अरुणाभा’ के संपादक भी हैं | हिन्दी विभाग इस महाविद्यालय का एक विशिष्ट और महत्वपूर्ण घटक रहा है | वर्तमान में चारों स्थायी पदों पर प्राध्यापक कार्य कर रहे हैं | विभाग में महाविद्यालय की प्रबंध समिति की ओर से कार्यभार को देखते हुए हर वर्ष शैक्षणिक सत्र के दौरान तीन अतिथि प्रवक्ता की भी नियुक्ति होती रही है | डॉ० सुधांशु श्रीवास्तव, श्री० अनिल कुमार पाण्डेय, कु० मनीषा त्रिपाठी विभाग में अतिथि प्रवक्ता हैं |

Dr. P.C. Giri

Professor & Head, Department Of Hindi

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Vimal Prakash Verma

Associate Professor

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Anil Kumar pandey

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Dr. Sudhanshu Kumar Srivastav

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Manisha Tiwari

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